डिसेबिलिटी के नेशनल कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों ने आखिर क्यों बताया दिव्यांग और लोगों से हैं अलग? जाने..

डिसेबिलिटी के नेशनल कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों ने आखिर क्यों बताया दिव्यांग और लोगों से हैं अलग? जाने..

अम्बुज यादव

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावने ने कहा है कि समाज को ऐसे लोगों के प्रति ज्‍यादा समझदार होने की जरूरत है जो सामान्‍य लोगों से हटकर हैं। दिव्‍यांग और मानसिक रूप से कम सक्षम लोगों के साथ अगर सही व्‍यवहार किया जाए तो वे भी समाज और देश के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं। केंद्रीय मंत्री दिल्‍ली में दिव्‍यांगों और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कॉन्फ्रेंस नेशनल इंस्‍टीट्यूट फॉर द पर्सन विद मल्‍टीपल डिसेबिलिटी, चेन्‍नई द्वारा आयोजित किया गया था जिसकी अध्यक्षता डॉक्टर हिमांशु दास ने की।

हमारे समाज का एक तबका ऐसे लोगों को है जो आम लोगों से कुछ हटकर हैं। इनमें से कुछ के अंग ठीक नहीं तो कुछ का मानसिक विकास ठीक तरीके से नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे लोगों को दिव्‍यांग कहा है। समाज में ऐसे लोगों को कई समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों को सामान्य लोग अलग तरीके से देखते हैं और उनसे कभी-कभी गलत व्यवहार भी करते हैं। ऐसी स्थिति में वो लोग आगे नहीं बढ़ पाते हैं और वो धीरे-धीरे और भी बीमार हो जाते हैं। उन्ही लोगों के लिए दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में इस नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत गुरुवार को हुई और समापन शुक्रवार को हुआ।

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इस कॉन्फ्रेस को कराने का मुख्य मकसद लोगों को यह बताना है कि दिव्यांग लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए। लोगों को यह जानना चाहिए कि व्‍यवहार ऐसा हो कि उन लोगों को कोई ठेस न पहुंचे और वो भी आम लोगों की तरह बिना डरे और सहमे समाज में जी सकें। इन बातों से लोगों को अवगत कराने के लिए कई डॉक्टर और रिसर्चर को आमन्त्रित किया गया था। वहीं कई दिव्यांग स्कूलों के बच्चे भी यहां आये थे जिन्हें सभी लोगों ने काफी प्रोत्साहित किया और उन्हें गिफ्ट देकर उनका मनोबल भी ऊंचा किया गया।

इस कार्यक्रम की शुरुआत किशनपाल गुज्जर, गुरु कर्मा तनपाई, डॉक्टर अलोका गुहा, डॉक्टर जेपी सिंह, डॉक्टर हिमांशु दास, डॉक्टर जितेंद्र नागपाल, डॉक्टर रमेश पांडेय और मुदिता यादव ने दीप प्रज्वलित करके की। उसके बाद पद्मश्री उमा तुली (अमरज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट की मैनेजिंग सैक्रेटरी) की अध्यक्षता में कई डॉक्टरों और कई रिसर्चरों ने डिसएबिलिटी को लेकर लोगों को जागरूक किया। इस दौरान सबसे पहले डॉक्टर गगन जोशी ने अपनी बात रखी। आपको बता दें कि गगन जोशी हारवर्ड विश्वद्यालय के डिसआर्डर और बाल रोग विभाग के डायरेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि जो लोग थोड़ा अलग होते हैं, उन्हें हमें ज्यादा सम्मान देना चाहिए क्योंकि वो हमसे अलग हैं। यही नहीं अगर उन पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो वो लोग भी आम लोगों की तरह व्यवहार करेंगे। डॉक्टर गोपाल कृष्णा ने दिव्यांग लोगों के लिए एक सच्ची घटना का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके पास एक ऐसी घटना आई थी, जिसमें एक 10 साल की बच्ची का एक्सीडेंट हो गया था। उस बच्ची को हमने अच्छी ट्रीटमेंट दी और वो ठीक भी हो गई। ठीक होने के बाद वो स्कूल में एडमिशन लेने गई तो प्रिंसिपल ने एडमिशन लेने से इंकार कर दिया क्‍योंकि बच्‍ची के दिमाग पर कुछ असर  हुआ था। उन्‍होंने बताया कि इस केस में उन्‍होंने प्रिंसिपल से बात की तब उसका एडमिशन हुआ और इस समय वो बच्ची दिल्ली विश्विद्यालय में पढ़ रही है। इस स्टोरी के साथ उन्होंने सभी लोगों को ये बताने की कोशिश की अगर किसी डिफरेंटली एबल बच्चे के साथ आम लोगों की तरह बर्ताव हो तो वो भी एक बड़ा आदमी बन सकता है।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले सभी डॉक्टरों और रिसर्चरों को सम्मानित किया और वहां पर उपस्थित दिव्यांग बच्चों को जैकेट देकर उनका मनोबल बढ़ाया। इस प्रोग्राम की संयोजक मुदिता यादव थीं।

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